Bollywood: From 12th Fail : बॉलीवुड सिर्फ ग्लैमर, रोमांस और एक्शन तक सीमित नहीं है। समय-समय पर कुछ ऐसी फिल्में भी आई हैं जो आम आदमी की जिंदगी, उसकी जद्दोजहद, शिक्षा और रोजगार के संघर्ष को गहराई से दर्शाती हैं। खासकर वे कहानियां जो पढ़ाई और नौकरी की समस्याओं को लेकर दर्शकों के दिलों को छू जाती हैं। इस लेख में हम बात करेंगे उन फिल्मों की, जिन्होंने शिक्षा और रोजगार के संघर्ष को बड़ी ही संवेदनशीलता और ईमानदारी के साथ पर्दे पर उतारा।
Table of Contents
1. 12वीं फेल (2023)
निर्देशक: विद्यु विनोद चोपड़ा
मुख्य कलाकार: विक्रांत मैसी
यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और मनोज शर्मा नामक एक युवक की कहानी को दर्शाती है जो 12वीं में फेल हो जाता है, लेकिन फिर भी अपनी मेहनत और लगन से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का अधिकारी बनता है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे गांव के एक साधारण लड़के को सिस्टम, गरीबी और सामाजिक ताने-बाने से लड़कर अपने सपनों को पूरा करना होता है।
मुख्य संदेश: असफलता अंत नहीं होती, बल्कि एक नई शुरुआत हो सकती है। दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
2. निल बटे सन्नाटा (2016)
निर्देशक: अश्विनी अय्यर तिवारी
मुख्य कलाकार: स्वरा भास्कर, रिया शुक्ला
इस फिल्म में एक घरेलू सहायिका (स्वरा भास्कर) अपनी बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित है और उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए खुद स्कूल में दाखिला लेती है। फिल्म न केवल मां-बेटी के रिश्ते को दिखाती है बल्कि यह भी बताती है कि शिक्षा उम्र की मोहताज नहीं होती।
मुख्य संदेश: अगर माता-पिता चाहें, तो वे खुद भी सीख सकते हैं और बच्चों के लिए एक प्रेरणा बन सकते हैं।
3. सुपर 30 (2019)
निर्देशक: विकास बहल
मुख्य कलाकार: ऋतिक रोशन
फिल्म में बिहार के आनंद कुमार की कहानी है जो आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को IIT की कोचिंग देकर उनके भविष्य को संवारते हैं। फिल्म में शिक्षा व्यवस्था की खामियों और अमीर-गरीब के बीच की खाई को दिखाया गया है।
मुख्य संदेश: प्रतिभा पैसे की मोहताज नहीं होती, सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से कोई भी छात्र कुछ भी कर सकता है।
4. तारे ज़मीन पर (2007)
निर्देशक: आमिर खान
मुख्य कलाकार: आमिर खान, दर्शील सफारी
यह फिल्म एक डिस्लेक्सिक बच्चे ईशान की कहानी है, जो पढ़ाई में कमजोर समझा जाता है, लेकिन उसके भीतर अद्भुत कलात्मक प्रतिभा छिपी होती है। यह फिल्म बताती है कि हर बच्चा अलग होता है और उसके अनुसार पढ़ाई की जरूरत होती है।
मुख्य संदेश: शिक्षा केवल अंक लाने की दौड़ नहीं है, बल्कि यह बच्चों की प्रतिभा और आत्मविश्वास को पहचानने का जरिया होनी चाहिए।
5. हिचकी (2018)
निर्देशक: सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा
मुख्य कलाकार: रानी मुखर्जी
फिल्म में रानी मुखर्जी एक ऐसी शिक्षिका बनी हैं जिन्हें ‘टॉरेट सिंड्रोम’ है। इसके बावजूद वे एक स्कूल में उन बच्चों को पढ़ाती हैं जिन्हें समाज ‘नालायक’ समझता है। फिल्म यह दिखाती है कि अगर शिक्षक प्रेरणादायक हो तो कमजोर से कमजोर छात्र भी कुछ कर सकते हैं।
मुख्य संदेश: शिक्षक के नजरिए में बदलाव आने से पूरी शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।
6. आई एम कलाम (2011)
निर्देशक: नील माधव पांडा
मुख्य कलाकार: हर्ष मायर
यह फिल्म एक गरीब बच्चे की कहानी है जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर पढ़ाई करके कुछ बनने का सपना देखता है। गरीबी और सामाजिक भेदभाव के बावजूद उसका उत्साह कम नहीं होता।
मुख्य संदेश: सपने देखने और उन्हें पूरा करने की इच्छा ही असली शिक्षा है।
7. छिछोरे (2019)
निर्देशक: नितेश तिवारी
मुख्य कलाकार: सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर
यह फिल्म कॉलेज लाइफ, परीक्षा का दबाव और असफलता के डर को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। इसमें दिखाया गया है कि हारना कोई अपराध नहीं है और आत्महत्या कभी समाधान नहीं हो सकता।
मुख्य संदेश: जीवन में परीक्षा और परिणाम से बड़ा है आत्मसम्मान और जिजीविषा।
8. कागज़ (2021)
निर्देशक: सतीश कौशिक
मुख्य कलाकार: पंकज त्रिपाठी
यह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया जाता है और वह खुद को जीवित साबित करने के लिए संघर्ष करता है। इसमें सरकारी नौकरी, पहचान और शिक्षा की अहमियत को व्यंग्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
मुख्य संदेश: सिस्टम से लड़कर भी इंसान अपने हक के लिए खड़ा हो सकता है।
9. शिक्षा का अधिकार (Do Dooni Chaar – 2010)
निर्देशक: हबीब फैज़ल
मुख्य कलाकार: ऋषि कपूर, नीतू सिंह
फिल्म एक मिडिल क्लास स्कूल शिक्षक की कहानी है, जो अपनी सीमित आय में परिवार की जरूरतें और बच्चों की शिक्षा को कैसे मैनेज करता है। यह फिल्म उस वर्ग की सच्चाई है जो हर दिन दो वक्त की रोटी और बच्चों के भविष्य के बीच संतुलन बनाता है।
मुख्य संदेश: शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं, लेकिन उन्हें भी सम्मान और बेहतर जीवन की जरूरत है।
निष्कर्ष
बॉलीवुड में बनी ये फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संदेशों से भरपूर हैं। ये हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा और रोजगार केवल व्यक्तिगत मुद्दे नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास से जुड़े अहम पहलू हैं। गरीबी, असमानता, भेदभाव, सरकारी व्यवस्था की खामियां – इन सभी को इन फिल्मों ने ईमानदारी से उजागर किया है।