Modi Cabinet: First meeting of the Union Cabinet after the Pahalgam attack; New corridor from Meghalaya to Assam approved : इस बैठक के बाद सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि वह केवल सुरक्षा और विकास की घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए ठोस व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों और अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इन योजनाओं की प्रगति पर नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करें और यह सुनिश्चित करें कि हर परियोजना समय पर पूरी हो।
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पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर
मेघालय और असम के बीच नया कॉरिडोर पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी सुधारने की दिशा में एक बड़ी पहल है। इससे दोनों राज्यों के बीच सड़क मार्ग छोटा हो जाएगा, जिससे यात्रा का समय कम होगा और ईंधन की खपत भी घटेगी। इससे न केवल आम जनता को सुविधा मिलेगी, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी क्षेत्र को लाभ होगा।
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को फोर लेन सड़कों से जोड़ा जाए। इस दिशा में काम करते हुए कई सड़कों को नेशनल हाईवे का दर्जा दिया जा चुका है और निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
सरकार ने यह भी बताया कि यह नया कॉरिडोर पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाए बिना बनाया जाएगा। परियोजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति ली जा रही है और इस क्षेत्र के जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य किया जाएगा।
रोजगार सृजन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
यह कॉरिडोर न केवल आवाजाही को आसान बनाएगा, बल्कि इसके साथ स्थानीय रोजगार भी सृजित होंगे। निर्माण कार्य में स्थानीय मजदूरों और युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, इस मार्ग के आस-पास के क्षेत्रों में लघु उद्योग, रेस्टोरेंट, लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं में भी नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
मेघालय के दूरदराज के क्षेत्रों में आज भी कई स्थानों तक पहुँचना मुश्किल है। इस कॉरिडोर के निर्माण से वहां के किसानों को अपने उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने में आसानी होगी, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि होगी। इसके साथ ही मेघालय के हस्तशिल्प, पर्यटन और जैविक कृषि को भी बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटन को मिलेगा बल
मेघालय और असम दोनों ही अपने प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। नया कॉरिडोर इन दोनों राज्यों को आपस में जोड़कर पर्यटन को भी नई दिशा देगा। खासकर शिलॉंग, चेरापूंजी, दावकी, कामाख्या मंदिर और काजीरंगा जैसे स्थलों तक पहुँच अब और सुगम हो जाएगी।
सरकार पर्यटन को ग्रामीण विकास से जोड़कर देख रही है। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय होमस्टे, होटल्स, गाइड्स और हस्तशिल्प व्यवसाय को सीधा लाभ पहुंचेगा। यह पूरी व्यवस्था “वोकल फॉर लोकल” नीति के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित होगी।
केंद्र और राज्य के समन्वय का उदाहरण
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए इस निर्णय में यह बात विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही कि इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जबरदस्त समन्वय देखने को मिला। यह समन्वय दर्शाता है कि भारत की संघीय व्यवस्था अब परिपक्व हो चुकी है, जहां राष्ट्रीय हितों के लिए सब मिलकर काम कर रहे हैं।
मेघालय और असम की सरकारों ने भी इस कॉरिडोर को लेकर उत्साह दिखाया है और इसे अपने-अपने राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा अवसर बताया है। यह पहल केवल दो राज्यों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका लाभ त्रिपुरा, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश जैसे अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को भी मिलेगा।
निष्कर्ष
केंद्रीय मंत्रिमंडल की यह बैठक दो मुख्य संदेश देती है — एक ओर जहां भारत आतंकवाद के खिलाफ पूरी सख्ती से खड़ा है, वहीं दूसरी ओर वह विकास की यात्रा में किसी को पीछे नहीं छोड़ना चाहता।
पहल्गाम हमले के बाद उठाए गए कड़े कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसमें किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं दूसरी ओर, मेघालय-असम कॉरिडोर जैसी योजनाएं यह दर्शाती हैं कि भारत अब समावेशी विकास की ओर बढ़ रहा है, जहां देश का हर कोना — चाहे वह कितना ही सुदूर क्यों न हो — विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का मंत्र इस बैठक के निर्णयों में साफ झलकता है। आने वाले समय में यह निर्णय न केवल कागजों पर योजनाओं के रूप में रहेंगे, बल्कि जमीन पर सकारात्मक बदलाव लेकर आएँगे।