पद्म श्री सम्मान
Paresh Rawal Birthday : वर्ष 2014 में भारत सरकार ने परेश रावल को उनकी फिल्मी और थिएटर जगत में विशिष्ट सेवाओं के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया। यह उनके लंबे करियर और बहुआयामी प्रतिभा को मान्यता देने वाला एक प्रतिष्ठित सम्मान था। इस सम्मान के बाद उन्हें न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर भी देश-विदेश में सराहा गया।
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थिएटर के प्रति समर्पण
परेश रावल फिल्मों के साथ-साथ गुजराती थिएटर में भी बेहद सक्रिय रहे हैं। उन्होंने ‘डियर फादर’, ‘किशन बनाम कन्हैया’, और ‘तूज़ो काय झाला’ जैसे नाटकों में दमदार प्रदर्शन किया है। थिएटर से उनके लगाव ने उनके अभिनय में एक गहराई और सजीवता लाई, जो स्क्रीन पर भी झलकती है।
थिएटर के माध्यम से उन्होंने नई पीढ़ी को भी मंच से जोड़ने का कार्य किया है। कई युवा कलाकार उन्हें अपना गुरु और प्रेरणा मानते हैं।
सोशल मीडिया और नई पीढ़ी में लोकप्रियता
हाल के वर्षों में परेश रावल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्विटर पर भी काफी सक्रिय रहे हैं। अपनी चुटीली टिप्पणियों, स्पष्ट राय और हास्यपूर्ण अंदाज में लोगों से जुड़कर उन्होंने डिजिटल दुनिया में भी अपनी पहचान मजबूत की है।
उनकी फिल्मों के संवाद आज भी मीम्स और वायरल वीडियो के रूप में इंटरनेट पर छाए रहते हैं। ‘बाबू भैया’ के किरदार ने उन्हें यंग जनरेशन के बीच एक पॉप कल्चर आइकन बना दिया है।
आने वाली फिल्में और प्रोजेक्ट्स
परेश रावल अब भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं और कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
कुछ आगामी फिल्मों में उनका नाम प्रमुखता से जुड़ा है, जैसे:
- ‘हेरा फेरी 3’ – जिसमें बाबू भैया फिर से लौटने वाले हैं।
- ‘द स्टोरीटेलर’ – सत्यजीत रे की कहानी पर आधारित एक गंभीर फिल्म।
- ‘ड्रीम गर्ल 2’ – जिसमें उनकी कॉमिक टाइमिंग एक बार फिर देखने को मिलेगी।
परेश रावल अब नई पीढ़ी के निर्देशकों के साथ भी काम कर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि वे समय के साथ खुद को ढालते रहे हैं और आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे।
निष्कर्ष
परेश रावल न सिर्फ एक सफल अभिनेता हैं, बल्कि वे एक ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने खलनायक, हास्य कलाकार, गंभीर किरदार, राजनीतिक व्यक्ति, और रंगमंच के नायक – हर भूमिका को बखूबी निभाया है।
उनकी बहुआयामी प्रतिभा ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक अमिट स्तंभ बना दिया है।
उनकी अदायगी में जो सहजता है, जो गहराई है, वह उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करती है। चाहे कोई डायलॉग भूल जाने की बात हो या फिर किसी गंभीर सीन को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करना — परेश रावल हर पल को जीवंत बना देते हैं।