Prateik Babbar reveals: ‘Between father’s wife and my mother…’, the emotional reason behind not inviting the Babbar family to the wedding : बॉलीवुड अभिनेता प्रतीक बब्बर ने हाल ही में अपनी शादी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने 14 फरवरी 2025 को अपनी प्रेमिका और अभिनेत्री प्रिया बनर्जी से शादी की, लेकिन इस शादी में उनके पिता राज बब्बर और उनके परिवार के अन्य सदस्य शामिल नहीं हुए। इस बात को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि आखिर क्यों प्रतीक ने अपने पिता और बब्बर परिवार को शादी में आमंत्रित नहीं किया। अब प्रतीक ने खुद इस चुप्पी को तोड़ा है और इसके पीछे की भावनात्मक वजह साझा की है।
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शादी का आयोजन प्रतीक की मां स्मिता पाटिल के घर पर हुआ
प्रतीक और प्रिया की शादी एक निजी पारंपरिक समारोह में हुई, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं। शादी का आयोजन प्रतीक की दिवंगत मां स्मिता पाटिल के पुराने घर में किया गया, जिसे उन्होंने विशेष रूप से प्रतीक के लिए खरीदा था। यह घर प्रतीक के लिए केवल एक इमारत नहीं बल्कि भावनाओं और स्मृतियों का केन्द्र था। इसीलिए उन्होंने यहीं शादी करने का निर्णय लिया, जिससे वह अपनी मां की उपस्थिति को महसूस कर सकें।
बब्बर परिवार को क्यों नहीं बुलाया गया?
जब इस बारे में सवाल किया गया कि उनके पिता राज बब्बर और उनके परिवार के सदस्य शादी में क्यों नहीं दिखाई दिए, तो प्रतीक ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से भावनात्मक था। उन्होंने बताया कि उनके पिता की पत्नी नादिरा बब्बर और उनकी मां स्मिता पाटिल के बीच अतीत में जटिल संबंध रहे हैं, जो कभी-कभी सार्वजनिक रूप से भी सामने आए थे। ऐसे में प्रतीक को लगा कि उस घर में, जो उनकी मां की स्मृति से जुड़ा हुआ है, उनके पिता और उनकी पत्नी की उपस्थिति नैतिक रूप से उचित नहीं होगी।
प्रतीक ने कहा:
“मेरे पिता की पत्नी और मेरी मां के बीच अतीत में कुछ समस्याएं थीं, जो प्रेस में भी आ चुकी थीं। मुझे लगा कि उस घर में उनका होना, जिसे मेरी मां ने मेरे लिए खरीदा था, नैतिक रूप से सही नहीं होगा। मैं किसी को नकारना नहीं चाहता था, लेकिन यह मेरी मां की यादों का सम्मान करने के बारे में था।”
कोई मतभेद नहीं, सिर्फ सम्मान का भाव
प्रतीक ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पिता और उनके परिवार के प्रति उनके मन में कोई नाराज़गी या कटुता नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह निर्णय केवल इसलिए लिया ताकि उनकी मां की स्मृतियों का सम्मान बना रहे। यह फैसला नकारात्मकता से नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और भावनात्मक जुड़ाव से प्रेरित था।
उन्होंने कहा:
“यह किसी के खिलाफ कोई निर्णय नहीं था। यह मेरी मां की भावनाओं और उनकी स्मृतियों का सम्मान करने का एक तरीका था। मुझे अफसोस है कि मेरे पिता इस समारोह में नहीं आ सके, लेकिन मैं जानता हूं कि यह निर्णय मेरे लिए आवश्यक था।”
भविष्य में जश्न में शामिल हो सकते हैं पिता
प्रतीक ने आगे कहा कि उन्होंने अपने पिता से पहले ही बात की थी और उन्हें बताया था कि वह इस शादी को निजी रखना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह भविष्य में किसी अन्य अवसर पर पिता और उनके परिवार के साथ जश्न मनाने के लिए तैयार हैं। प्रतीक का मानना है कि एक शादी केवल एक दिन का आयोजन नहीं होती, बल्कि वह जीवन भर चलने वाला रिश्ता होता है, जिसमें कई मौके होते हैं साथ आने के।
उन्होंने कहा:
“मैंने उनसे कहा था कि हम भविष्य में किसी दूसरे समारोह में एक साथ खुशियां मना सकते हैं। मेरी शादी सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं थी, यह मेरे जीवन की एक नई शुरुआत थी। मैं चाहता हूं कि हर रिश्ता समय के साथ और मजबूत हो।”
मां स्मिता पाटिल की स्मृतियों से जुड़ी यह शादी
यह शादी प्रतीक के लिए केवल एक सामाजिक रस्म नहीं थी, बल्कि उनकी मां स्मिता पाटिल को समर्पित एक भावनात्मक यात्रा थी। प्रतीक ने कई बार यह कहा है कि वह अपनी मां को बहुत याद करते हैं और उनकी गैरमौजूदगी उनके जीवन में एक गहरा खालीपन छोड़ गई है। ऐसे में उन्होंने शादी में हर चीज को इस तरह से सजाया, जिससे उन्हें यह महसूस हो कि उनकी मां उनके आसपास हैं।
प्रतीक ने बताया कि उन्होंने अपनी शादी में कुछ परंपराएं और रीतियां भी स्मिता पाटिल की पसंद के अनुसार रखीं, ताकि वह इस महत्वपूर्ण दिन को अपनी मां की उपस्थिति से जोड़ सकें। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रिया को पहले ही यह समझा दिया था कि शादी एक पारिवारिक कार्यक्रम से अधिक, एक भावनात्मक श्रद्धांजलि होगी।
प्रिया बनर्जी का समर्थन
प्रिया बनर्जी, जो प्रतीक की पत्नी हैं, ने इस फैसले में उनका पूरा साथ दिया। उन्होंने न केवल प्रतीक की भावनाओं को समझा, बल्कि पूरे आयोजन को उसी भाव के साथ स्वीकार किया। प्रिया ने यह भी कहा कि उन्हें गर्व है कि प्रतीक अपने संबंधों को इतनी ईमानदारी और सम्मान के साथ निभाते हैं।
प्रिया ने कहा:
“प्रतीक ने मुझे पहले दिन से ही बताया था कि यह शादी उनके लिए सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि उनकी मां की याद में एक श्रद्धांजलि है। मैंने पूरी तरह से उनका साथ दिया क्योंकि मैं जानती हूं कि यह उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।”
निष्कर्ष: एक भावनात्मक और संवेदनशील निर्णय
प्रतीक बब्बर का यह निर्णय हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी रिश्तों में भावनात्मक संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी होता है। भले ही बाहर से यह निर्णय कुछ लोगों को अनुचित लगे, लेकिन जब हम इसकी पृष्ठभूमि को समझते हैं, तो यह साफ हो जाता है कि यह पूरी तरह से संवेदनशीलता, सम्मान और पारिवारिक मर्यादा से जुड़ा था।
प्रतीक ने न केवल अपनी मां की स्मृति का सम्मान किया, बल्कि यह भी दिखाया कि वह अपने पिता और उनके परिवार के लिए भी मन में कोई कटुता नहीं रखते। उनके इस फैसले ने यह साबित किया कि वह अपने जीवन में संतुलन और सम्मान को प्राथमिकता देते हैं।
उनकी यह भावनात्मक यात्रा न केवल उनके प्रशंसकों को प्रभावित कर रही है, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे रही है कि रिश्तों में सम्मान, समझदारी और संवेदनशीलता सबसे बड़ी चीज होती है।